Thursday, March 21, 2013

रिश्ते


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मुझे गीता बताती है नहीं कुछ साथ जाता है
मगर फिर क्यों मुझे केवल स्व परिवार भाता है
मेरी पूंजी मेरे रिश्ते तेरे रिश्ते तेरी पूंजी
मैं इतना सोच सकता हूँ तेरा मेरा रुलाता है

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1 comment:

  1. सच कहा है ... स्व से बहर नहीं आ पाता इंसान ...

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